2.मंज़िले हमारे
करीब से गुज़रती गयी,
और हम औरो को
रास्ता दिखाने में ही रह गये
3.आज बहुत दिनों बाद
कोई बहुत याद आया है।
ये क्या दिल की खूबसूरती है
या किसी का साया है।।
4.पाँव हौले से रख कश्ती से उतरने वाले
जिंदगी अक्सर किनारों से ही खिसका करती है
5.यूं तो किसी चीज के मोहताज नही हम,
बस एक तेरी आदत सी हो गयी है।
6.मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है.....
बडी शातिर है ये दुनिया, बहाना ढूंढ लेती है,
हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को....
मगर हर आँख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है,
न चिडिया की कमाई है न कारोबार है कोई....
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है,
उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का....
वही कोशिश समंदर मे खजाना ढूंढ लेती है,
जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से....
मेरी दीवानगी... अपना ठिकाना ढूंढ लेती है .....!!
7.सिर्फ़ किताबों से
ज्ञान मिले ये जरूरी नहीं
कुछ चेहरे भी ज्ञान दे जाते हैं
8.उसे हम याद आते हैं फ़क़त फुर्सत के लम्हों में...
मगर ये बात भी सच है उसे फुर्सत नही मिलती...
( वसी शाह )
9.हम तस्लीम करते हैं हमे फुर्सत नही मिलती...
मगर जब याद करते हैं तो ज़माना भूल जाते हैं...
( मिर्ज़ा ग़ालिब )
10.ज़माना भूल जाते है तेरे एक दीद के खातिर...
ख्यालों से निकलते हैं तो सदियाँ बीत जाती हैं...
( अल्लामा इक़बाल )
11.सदियाँ बीत जाती है ख़्यालों से निकलने में...
मगर जब याद आती है तो आँखे भीग जाती है...
( साग़र )
12.ज़िन्दगी के सफ़र में मैंने
अब तक तो यही जाना है
ख्वाहिशों का हाथ
अक्सर मजबूरियों ने थामा है!
13.माना कि
हवाए भी अपना रूख बदलती हैं
पर इंसान जितना तो नहीं।
14.सुस्त ज़िन्दगी के दिन चार देखिये,
तेज़ भागते वक़्त की रफ़्तार देखिये
सिकुड़ती हुई उम्र के कमरे के बाहर
ख्वाहिशों की लम्बी क़तार देखिये,
रंगीपुती रिश्तों की दीवारों के अंदर
घर बनाती रंजिश की दरार देखिये
दुकाने इंसानियत की बंद हो गयीं
वहशियत का हर तरफ बाजार देखिये
झुक के पाँव छूती थी जो शोहरतें
आज उन्हें ही सर पर सवार देखिये
बाँट ली हैं साँसे बराबर के हिस्सों में
आंसू और हंसी के बीच करार देखिये
शायद कोई हमको खोजकर ले आये
गुमशुदगी का देकर इश्तेहार देखिये
दिल तो कबका इसमें दफ़न हो चूका
अब तो सिर्फ जिस्म की मज़ार देखिये...
15.चला था ज़िक्र
ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया तुम्हारा ख़याल वैसे ही
16.चित्रकार तुझे
उस्ताद मानूँगा,
दर्द भी खींच
मेरी तस्वीर के साथ।
17.ऐब भी बहुत है मुझमें और खूबियां भी
ढूंढने वाले तू सोच , तुझे क्या चाहिए ✍️
18." मैं अकेला गुनेहगार नहीं ...
मैं , मय और मेरे लहजे ,
तीनों ने डुबोया मुझको " !!
19.ढूंढ किताब-ए-इश्क से
फतवा ओ-काजी...!!
जो छोड़ जाये..
उसकी याद में जिया जाये कैसे...!!
20.बढ़ती गयी दिन-ब-दिन
उनकी मनमर्ज़ियाँ.... !!
फिर हुआ यूँ कि
हम फिर से अजनबी हो गए .....!!
21." 'अपनों' को ... उम्मीद ऐ वफ़ा थी हमसे
और हम ... बदचलन बनके ही रह गये " !!
सब तेरी मोहब्बतों की इनायत है वरना,
मैं क्या!मेरा दिल क्या!मेरी शायरी क्या!!
22.लिखता हूँ खुद को खत तेरे नाम से
देता हूँ दिल को तसल्ली यूँ कभी-कभी
23.क्या तुम उस वक़्त मिलने आओगे ?
साँस जब घर बदल रही होगी......
24.“अब परछाईयों का भी बोझ नहीं मुझ पर
कितना सुकून है अंधेरों में " ...!!
25.गणित पढ़ते पढ़ते बरसो गुजर गए
आपकी आँखों मे झाँका तो जाना सब शून्य है
26." मैं दीवारों को बातो में लगाए रखूंगा
तुम चुपके से निकल जाना तस्वीर से अपनी " !!
27.कुछ मोहब्बतें सही शख्स से..
गलत वक़्त पर.. गलत उम्र में हो जाती हैं...
28.बात बताने का बहाना करके _____💗 ))
मैने चूमा था.... उसके गालो 😛 को
अब रोज जिद करती है के
मुझे वो बात बताओ ....
😘💞
29.मिले हुए समय को ही अच्छा बनाए
अगर अच्छे समय की राह देखोगे
तो पूरा जीवन कम पड़ेगा।
30.मैं इस खुदा काे कैसे मानूँ
मेरी ताे मां खुदा है ...
हां पापा बहुत प्यार करते हैं
पर मां सबसे जुदा है ...
31.हर पतंग जानती हैं
अंत में कचरे में ही जाना हैं
लेकिन उससे पहले हमें
आसमाँ छुके दिखाना हैं
32.तू मुझे गुनाहगार साबित करने की
जहमत ना उठा।
बस इतना बता क्या-क्या कबुल करना हैं
जिससे मोहब्बत बनीं रहें।
33.जो कुछ खो गया उसे भूल जाओ
ताकि जो बाकी है उसे हासिल कर सको।
34.आज लाखो रुपये बेकार है
वो एक रुपये के सामने
जो माँ स्कूल जाते वक्त देती थी
35.प्रेम में जबरदस्ती नही
जबरदस्त होना चाहिए ..
36.दिल की तमन्ना इतनी है
कुछ ऐसा मेरा नसीब हो
मैं जहाँ जिस हाल में रहुँ
बस तू मेरे करीब हो
37.इन्सान जिंदगी मे बहुत कुछ सीखता है
लेकिन जब तक दुसरो से प्यार करना
दुसरो को माफ करना और दुसरो की
इज्जत करना नही सीख जाता
समझो कुछ नही सीखा।
38.ज़िंदगी में हर एक का एक सपना होता है
पर क़िस्मत का खेल देखो
वो सपना टूट जाता है
या उसे पूरा करने का समय छूट जाता है
39.सब्र और सहनशीलता
कोई कमजोरियां नहीं होती है
ये तो अंदरुनी ताकत है
जो सब में नहीं होती
40.जिंदगी में कुछ गहरे जख्म
कभी नहीं भरते
इन्सान बस उन्हें छुपाने का
हुनर सीख जाता है
41.देखा है जिंदगी को कुछ इतने करीब से
लगने लगे हैं तमाम चेहरे अजीब से
बचपन की सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी ये थी कि
बड़े होते ही ज़िन्दगी मज़ेदार हो जाएगी
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें