2.चित्रकार तुझे
उस्ताद मानूँगा,
दर्द भी खींच
मेरी तस्वीर के साथ.......
इस झील पे अब कोइ परिन्दा नहीं आता
हालात ने चेहरे की चमक छीन ली वरना
दो-चार साल में तो ब़ुढापा नहीं आता
मुद्त से तमन्नाएँ सजी बैठी हैं दिल में
इस घर में ब़डे लोगों का रिश्ता नहीं आता
इस दर्जा मसायब के जहन्नुम में जला हूँ
अब कोइ भी मौसम हो, पसीना नहीं आता
मैं घर में बैठा ये सोच रहा हूँ
इस दौर में आसानी से पैसा नहीं आता
वो कौम की तक़दीर बदलने को उठे हैं
जिन लोगों को बचपन से ही क़लमा नहीं आता
बस तेरी मुहब्बत में चला आया हूँ वरना
यूँ सबके बुला लेने से 'में ' नहीं आता
3.ऐब भी बहुत है मुझमें और खूबियां भी
ढूंढने वाले तू सोच , तुझे क्या चाहिए......
4.बढ़ती गयी दिन-ब-दिन उनकी मनमर्ज़ियाँ.... !!
फिर हुआ यूँ कि हम फिर से अजनबी हो गए .....!!
5.सब तेरी मोहब्बतों की इनायत है वरना,
मैं क्या!मेरा दिल क्या!मेरी शायरी क्या!!
6.लिखता हूँ खुद को खत भी तेरे ही नाम से
देता हूँ दिल को तसल्ली यूँ भी कभी-कभी
7.“अब परछाईयों का भी बोझ नहीं मुझ पर
इतना सुकून है अंधेरों में " ...!!
8.क्या तुम उस वक़्त मिलने आओगे ?
साँस जब घर बदल रही होगी......
9." ख़ुदकुशी हमेशा जिस्म ही नहीं करते ,
कुछ ख़्याल समय की चौखट पर यूँ हीं
झूल जाया करते हैं " !!
10.गणित पढ़ते पढ़ते बरसो गुजर गए
आपकी_आँखों मे झाँका तो जाना सब शून्य है...
11.आज फुर्सत से बैठ कर कहीं...!!
अपने ज़िन्दा होने पर रोया जाए...!!
12.एक-एक कर साल गिर रहें है टूट कर,
वक़्त को ये कैसा पतझड़ लगा है..!!
13." ज़िस्म अटका रहा .... ख्वाहिशों में और ...
ज़िंदगी हमें जीकर चलती बनी " !!
14.शायरी इतनी क्या लिखी वाे नाराज़ हाे गई...
हमें Good night कहने से पहले ही साे गई...
15.मिले हुए समय को ही अच्छा बनाए,
अगर अच्छे समय की राह देखोगे
तो पूरा जीवन कम पड़ेगा।
16.तेरी आँखों में कुछ ऐसा नशा है...
तुम दिल में , दिल 👀 आंखों में बसा है...
हाेठाे 💋 काे तव्वजाे दु
या तुम्हारी आंखाे 👀 काे....
नजर एक ओर ठहरी हैं...
जरा तुम झाँकाे ताे...
17.पंखी उड़ जाए उसका कोई ग़म नहीं
बस शर्त इतनी हे की
डाली हिलनी नहीं चाहिए
18.मुस्कुरा कर उन का मिलना और
बिछड़ना रूठ कर..
बस यही दो लफ़्ज़ इक दिन
दास्ताँ हो जाएँगे..
19.माना की सभी गलत है तेरी नज़रो में
वैसे तु भी कोई फरिश्ता तो नहीं हैं।
20.जो महसूस करते हैं बयाँ कर देते हैं,
हमसे लफ़्ज़ों की दगाबाज़ी नहीं होती।
21.दिल की तमन्ना इतनी है
कुछ ऐसा मेरा नसीब हो
मैं जहाँ जिस हाल में रहुँ
बस तू मेरे करीब हो।
22.ज़िंदगी में हर एक का एक सपना होता है
पर क़िस्मत का खेल देखो
वो सपना टूट जाता है
या तो उसे पूरा करने का समय छूट जाता हे
23.सब्र और सहनशीलता
कोई कमजोरियां नहीं होती है
ये तो अंदरुनी ताकत है
जो सब में नहीं होती।
24.जिंदगी में कुछ गहरे जख्म कभी नहीं भरते
इन्सान बस उन्हें छुपाने का हुनर सीख जाता है।
25.हमें भी शिकायत हुआ करती थी
कभी इन दर्द भरे नगमो से
लेकिन आजकल इसमें
हम भी अपना अक्श पाते हैं
26.देखा है जिंदगी को कुछ इतने करीब से
लगने लगे हैं तमाम चेहरे अजीब से।
27.बेवजह शोर मचाने से
सुर्खियां नहीं मिला करती
कर्म करोगे तो खामोशियां
भी अखबारों में छपेंगी।
28.क्या खूब मजबूरी है
गमले में लगे पेड़ों की
हरा भी रहना है
और बढ़ना भी नहीं।
29.बचपन की सबसे बड़ी ग़लतफ़हमी ये थी कि
बड़े होते ही ज़िन्दगी मज़ेदार हो जाएगी
30.ज़रा छू लु उनको कि मुझको यकीं आ जाए,
लोग कहते है मुझे साये से मोहब्बत है।
31.इन अंधेरों में जीना अच्छा लगता है
तेरी यादों में रहना भी अच्छा लगता है
माना के छोड़ के चली गई है तू मुझे
लेकिन तुजपे हर बार मर मिट जाने को
दिल करता है....
32.सूख गये फूल पर बहार वही है,
दूर रहते है पर प्यार वही है,
जानते है हम मिल नही पा रहें है आपसे,
मगर ईन आँखों में मोहब्बत का इंतजार वही है।
33.सुलगती रेत में पानी की अब तलाश नहीं
मगर ये मैंने कब कहा के मुझे प्यास नहीं।
34.मत सोच रे बंदे
इतना ज़िंदगी के बारे में
जिसने ज़िंदगी दी है
उसने भी तो कुछ
सोच रखा होगा तेरे बारे में।
35.सभी को सुख देने की क्षमता
भले ही आप के हाथ में न हो..
किन्तु किसी को दुख न पहुँचे,
यह तो आप के हाथ में ही है.
36.हमेशा दूसरों का साथ दे,
पता नहीं ये पुण्य ज़िंदगी में
कब आपका साथ दे जाए
37.मकान जले तो बीमा ले सकते हैं,
सपने जले तो क्या किया जाए...
आसमान बरसे तो छाता ले सकते हैं,
आँख बरसे तो क्या किया जाए...
शेर दहाड़े तो भाग सकते हैं,
अहंकार दहाड़े तो क्या किया जाए...
काँटा चुभे तो निकाल सकते हैं,
कोई बात चुभे तो क्या किया जाए...
दर्द हो तो गोली / दवा ले सकते हैं,
वेदना हो तो क्या किया जाये...
38.सभी को सुख देने की क्षमता
भले ही आप के हाथ में न हो..
किन्तु किसी को दुख न पहुँचे,
यह तो आप के हाथ में ही है..
39.हमेशा दूसरों का साथ दे,
पता नहीं ये पुण्य ज़िंदगी में
कब आपका साथ दे जाए...
40.कल हम भी बारिश मे छपाके लगाया करते थे,
आज इसी बारिश मे कीटाणु देखना सीख गए,
कल बेफिक्र थे कि माँ क्या कहेगी,
आज बारिश से मोबाइल बचाना सीख गए,
कल दुआ करते थे कि बरसे बेहिसाब तो छुट्टी हो जाए,
अब डरते हैं कि रुके ये बारिश कही ड्यूटी न छूट जाए,
किसने कहा नहीं आती वो बचपन वाली बारिश,
हम ख़ुद अब काग़ज़ की नाव बनाना भूल गए,
बारिश तो अब भी बारिश है,
हम अपना ज़माना भूल गए...!!
41.तेरे जाने के बाद इतने गम मिलें
कि तेरे जाने का गम ही न रहा 😥
42.आज बाजार बंद है
योंकी आप नजर बंद है
एक जुम्मा भी निकल गया
आपका कजरा कहाँ बंद है
आप जो नजर ना आए
सबकी कटारें मंद हैं
मास्टर जी को नाप दे जाओ
अरे उनकी सिलाई मशीन भी बंद है
43.अब आँसू नहीं आते अपने हालात पर,,,
बस अब तरस आता है अपने आप पर...
यूँ तो सब कुछ सलामत है तेरी दुनियाँ में
बस रिश्ते ही हैं जो कुछ टूटे-टूटे से
नज़र आते है.. तू !!
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