6/10/20

Sad Shayari In Hindi || हिन्दी शायरी

1.हमें भी शिकायत हुआ करती थी कभी 
इन दर्द भरे नगमो से 
लेकिन आजकल इसमें हम भी 
अपना अक्श पाते हैं




2.सुलगती रेत में पानी की अब तलाश नहीं

मगर ये मैंने कब कहा के मुझे प्यास नहीं

3.समझता ही नहीं वो शक्श 
मेरे अल्फ़ाज़ों की गहराई।
मैने हर वो लफ्ज़ कह दिया 
जिसमें दोस्ती हो।

4.एक आस, एक एहसास, 
मेरी सोच और बस तुम
एक सवाल, एक मजाल, 
तुम्हारा ख़याल और बस तुम
एक बात, एक शाम, 
तुम्हारा साथ और बस तुम
एक दुआ, एक फ़रियाद, 
तुम्हारी याद और बस तुम
मेरा जूनून, मेरा सुकून,
बस तुम और बस तुम

5.🌹तोड़ते रहो तुम दिल को कांच__ की तरह,
सनम
🌹_हम टूटकर__ भी सिर्फ तुम्हे ___ही चाहेंगे !!

6.तेरे शक की नजर,
 मेरे झूठ की चादर
कितनी गजब है यह मोहब्बत।

7.बीच रास्ते में खो गया हूं💖
कल के चक्कर में आज अटक गया हूं

8.हम रूठे दिलों को मनाने में रह गए,
गैरों को अपना दर्द सुनाने में रह गए,
मंज़िल हमारी, हमारे करीब से गुज़र गयी,
हम दूसरों को रास्ता दिखाने में रह गए।

9.झूम जाते हैं शायरी के लफ्ज़ 
बहार के पत्तों की तरह,
जब शुरू होता है 
बयां ए हुस्न महबूब का मेरे.

10.वो आज गुमसुम सी जो बैठीं हैं
या तो हमारी बात दिल पर लगी है
या हमारी बातो से दिल लगा बैठी है

11.दिल परेशान है तेरे बगैर 
जिन्दगी बेजान है तेरे बगैर 

लौट आ फिर से मेरे हमदम
सब कुछ वीरान है तेरे बगैर 

रात की नींद दिन का सुकून 
आना कहा आसान है तेरे बगैर 
फिरते रहते पागलो की तरह इधर से उधर
 लगता नही दिल बहुत नुकसान है तेरे बगैर


12.बेगुनाह कोई नहीं है, 
सबके राज़ होते हैं..

किसी के "छुप" जाते हैं, 
तो किसी के "छप" जाते हैं..

13.इतनी चाहत के बाद भी 
तुझे एहसास ना हुआ,
जरा देख तो ले, 
दिल की जगह पत्थर तो नहीं...

14.जाने क्या था जाने क्या है 
जो मुझसे छुट रहा है 
यादें कंकर फेंक रही है 
और दिल अंदर से टूट रहा है

15.प्यार में शर्त निभाने की कभी ज़िद न करो
प्यार को जब्र से पाने की कभी ज़िद न करो

16.प्यार नादान है नादां ही इसे रहने दो 
प्यार को इल्म सिखाने की कभी ज़िद न करो
प्यार मासूम दुआओं की तरह होता है
तुम इसे क़ैद में लाने की कभी ज़िद न करो
बात जो क़ौम की मिल्लत में दरारें लाए
यार वो बात सुनाने की कभी ज़िद न करो
ज़िंदगी प्यार की झरने सी रवाँ होती है
रोक तुम इसपे लगाने की कभी ज़िद न करो

17=रहमतों की कमी नहीं  
'ऊपरवाले' के ख़ज़ाने में...
झांकना खुद की झोली में है कि 
कहीं कोई 'सुराख' तो नही....

18.सब अच्छे ही होते हैं..
कोई मेरे जैसा क्यों नहीं होता

19.शाम आये और घर के लिए 
दिल मचल उठे...!!
शाम आये और दिल के लिए 
कोई घर ना हो...!!

20.डूबते डूबते बचा हूं अभी

और फिर प्यास लग रही है मुझे..!!

21.चार दोस्त,दो साइकिलें, 
खाली जेब और पूरा शहर,
एक खूबसूरत दौर ये भी था जिंदगी का...
किताबों में जिंदगी लटक गई है 
जब से मेरी जान जान में अटक गई है

22.ज़िन्दगी खूबसुरत है 
पर तुझे जीना नहीं आता 
हर चीज में नशा है 
पर तुझे पिना नहीं आता

23.हे पगली तू खुद को क्या समझती है 
तुझसे लाख गुना अच्छी तो मेरी मां है
जो बिना बोले ही मेरी आवाज सुनती है
✍✍✍

24.हाथों की लकीरों को किस्मत कहते हैं
मगर मेहनत करते हैं बेचारे हाथ
और तालियां बटोरी है पंडितों की बात
दूसरों को बर्बाद कर हंसते हैं लोग

25.एक समय ही ऐसा है 
जिसे बर्बाद कर रोते हैं लोग

26.हिम्मत नहीं तो, प्रतिष्ठा नहीं.. 
विरोधी नहीं, तो प्रगति नहीं..

27.पाँव हौले से रख 
कश्ती से उतरने वाले 
जिंदगी अक्सर किनारों से ही 
खिसका करती है ...


28.मेरी खामोशियों में भी फसाना ढूंढ लेती है.....
बडी शातिर है ये दुनिया, बहाना ढूंढ लेती है,

हकीकत जिद किए बैठी है चकनाचूर करने को....
मगर हर आँख फिर सपना सुहाना ढूंढ लेती है,

न चिडिया की कमाई है न कारोबार है कोई....
वो केवल हौसले से आबोदाना ढूंढ लेती है,

उठाती है जो खतरा हर कदम पर डूब जाने का....
वही कोशिश समंदर मे खजाना ढूंढ लेती है,

जुनूं मंजिल का, राहों में बचाता है भटकने से....
मेरी दीवानगी... अपना ठिकाना ढूंढ लेती है .....!!

29.फोन से block किया चलेगा 
दिल से न होना चाहिए
प्यार एकतरफा नही चलेगा 
दोनों ओर से होना चाहिए

30.अभी तो दोस्ती करने का मन बनाया
तकरार करूं कैसे ?
अभी ताे खफा़ नज़र आ रही है
इकरार करूं कैसे ?

31.तुम्हारी ऑखाें से ऑखें 
मिलाने का मन कर रहा है 

अब साेने का नही
तुम्हें जगाने का मन कर रहा है


32.उसे हम याद आते हैं फ़क़त फुर्सत के लम्हों में...
मगर ये बात भी सच है उसे फुर्सत नही मिलती...
                                         ( वसी शाह )

33.हम तस्लीम करते हैं हमे फुर्सत नही मिलती...
मगर जब याद करते हैं तो ज़माना भूल जाते हैं...

                                      ( मिर्ज़ा ग़ालिब )

34.ज़माना भूल जाते है तेरे एक दीद के खातिर...
ख्यालों से निकलते हैं तो सदियाँ बीत जाती हैं...

                                ( अल्लामा इक़बाल )

35.सदियाँ बीत जाती है ख़्यालों से निकलने में...
मगर जब याद आती है तो आँखे भीग जाती है...

                                            ( साग़र )

36.दर-अस्ल उसको फ़क़त चाय ख़त्म करनी थी
हम उसके कप को सुनाते रहे ग़ज़ल अपनी
(~ जुबैर अली ताबिश)


37.छोड़ आया था मेज़ पर चाय 
ये जुदाई का इस्तिआरा था 
(~ तौकीर अब्बास)


38.इतनी गर्मजोशी से मिले थे,
हमारी चाय ठंडी हो गई थी।
(~ Khalid Mehboob)


39.बहकते रहने की आदत है मेरे कदमो को,,
शराब खाने से निजलूं के चाय खाने से।।
(~ राहत इंदौरी)


40.कुछ चलेगा जनाब, कुछ भी नहीं
चाय, कॉफी, शराब, कुछ भी नहीं
(~ 'अना' क़ासमी)


41.ख्वाहिशें कल हुस्न की महमान थीं,
चाय को भी नाश्ता कहना पड़ा।
(~ जुबैर अली ताबिश)


42.चलो अब हिज़्र के किस्सों को छोड़ो
तुम्हारी चाय ठंडी हो रही है
(~ ज़ुबैर अली ताबिश)


43.एक गर्म बहस चाट गई वक्ते मुकर्रर,
मुद्दे जो थे वो चाय के प्यालों में रह गए।
(~ फानी जोधपुरी)


44.कल के बारे में जियादा सोचना अच्छा नहीं
चाय के कप से लबों का फासला है जिंन्दगी
(~ विजय वाते)


45.महीने में किसी रोज कहीं चाय के दो कप,
इतना है अगर साथ, तो फिर साथ बहुत है
(~ अना क़ासमी)


46.ज़िंदगी छोटी सी सही,
पर दिल हर किसी से लगाइये नहीं..!
जीवन होता बहुत सरल है, उलझाइये नहीं,

47.कैसे संभालू.....!
कैसे भूला दूं...!!
अब ऐसे मझधार में छोड़ गयी हो मुझे
आखिर करूं क्या मैं...
अब तू ही बता मेरे राही

48.माना कि हवाए भी अपना 
रूख बदलती है
पर इंसान जितना तो नहीं

49.सुस्त ज़िन्दगी के दिन चार देखिये,
तेज़ भागते वक़्त की रफ़्तार देखिये

सिकुड़ती हुई उम्र के कमरे के बाहर
ख्वाहिशों की लम्बी क़तार देखिये,

रंगीपुती रिश्तों की दीवारों के अंदर
घर बनाती रंजिश की दरार देखिये

दुकाने इंसानियत की बंद हो गयीं
वहशियत का हर तरफ बाजार देखिये

झुक के पाँव छूती थी जो शोहरतें
आज उन्हें ही सर पर सवार देखिये

बाँट ली हैं साँसे बराबर के हिस्सों में
आंसू और हंसी के बीच करार देखिये

शायद कोई हमको खोजकर ले आये
गुमशुदगी का देकर इश्तेहार देखिये

दिल तो कबका इसमें दफ़न हो चूका
अब तो सिर्फ जिस्म की मज़ार देखिये...

50.मेरे अधूरे ख्वाब और उलझता हु मै 
ये कितना सही है           
मेरे तकलिफी जजबात और
उसकी यादों में खोया रहना कितना सही है।।
अब दिल भी कहता है अलग मंज़िल देख और
अलग देख अपने रास्ते क्योकि बेमतलबी लोगो से
रिश्ता रखना कितना सही है।।


51.स्कूल की पडाई 
सिर्फ़ जनरल नॉलेज बढ़ाने के लिए है
अपने जीवन में काम आए ऐसे पाठ तो 
दुनिया वाले सिखाते हैं

52.चला था ज़िक्र ज़माने की बेवफ़ाई का
सो आ गया है तुम्हारा ख़याल वैसे ही

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