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बुलाती है मगर जाने का नहीं ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

मेरी मोहब्बत कि कहानी कुछ ऐसे देखी गई,
 जैसे काटकर गाना,कोई फिल्म देखी गई।

उससे बिछड़ने पर, फिर इन आंखों में यारों,
 बेमौसम के बेइंतहा, बरसात देखी गई।

भला कैसे छुपाता अपने गमों का राज मैं,
 मेरे चहरे से पहले, मेरी आंखें देखी गई।

करते कोशिश,तो मैं बच भी जाता मगर,
मेरी नब्ज टटोलकर, थोड़ा देर से देखी गई।

जिंदा थे तो तरसते थे, मिलने के लिए यारों,
 बाद मरने के हर रोज हमारी, तस्वीर देखी गई!!







मोहब्बत की हर बात पे आँसू बहा क्यों
तेरा ज़िक्र तेरा चर्चा हर वक़्त रहा क्यों?

उम्मीद यूँ तो मुझको कुछ ज़्यादा ना थी
जब तूने सुनना नहीं था मैंने कहा क्यों?

तूने तो मेरी बाबत सोचा ना होगा कभी
आख़िर तेरा ही इंतज़ार मुझे रहा क्यों?

दिल पर माना किसी का इख़्तियार नहीं
ग़म देना तेरी आदत सही मैंने सहा क्यों?

आज नहीं तो कल शायद तू मिल जाये 
यह रौशन ख़्याल मेरे दिल में रहा क्यों?








अदावत भी तुम हो ,इनायत भी तुम हो
तड़पती हुई दिल की चाहत भी तुम हो,

सनम ख्वाब तेरे सजाते हैं हम
ठहरी हुई दिल की हसरत भी तुम हो,

कहीं आज सज़दा जो करने लगे हम
दुआ हो मेरी तुम, इबादत भी तुम हो। 




बुलाती है मगर जाने का नहीं 
बुलाती है मगर जाने का नहीं 

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं

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