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Breakup Shayari In Hindi || Shayari In Hindi

टूटा तारा देख कर दिल ने कहा ,मांग ले तू फ़रियाद कोई...
मैंने कहा जो खुद टूट रहा है, कैसे पूरी करेगा वो मुराद कोई...

1.दिल और दिमाग :
दिमाग और दिल कभी एक जैसा क्यों नही सोचते?
ये भी सच है की बार बार दिमाग ही दिल की हरकतों को रोकता है।।
दिल सचमुच वो बच्चा है जो अल्हड़ है,भीगना चाहता है, खेलना चाहता है।।
और दिमाग,दिमाग तो उस पिता की तरह है जो बच्चे को चोट न लगे इसलिए उसे प्रतिपल टोकता है।।
प्रकति ने भी क्या खूबसूरत तालमेल बनाया है दिमाग ने हमे चोट लगने से बचाया है तो दिल ने हमे जीना सिखाया है।।
जीना तब मुश्किल हो जाता है जब कोई एक दूसरे पर हावी हो जाता है।।
दिल हावी हो तो इंसान दुनिया की बेरहमी से लहूलुहान हो जाता है।।
और दिमाग हावी हो तो इंसान मशीनीकृत हो जाता है।।। 
वही मनुष्य है सफल ,प्रसन्न और जीवित जो इनका बेहतरीन ढंग से सामन्जस्य बिठाता है।।



2.रग रग मे दौड़े तू खून के जैसे,
महकाये तू मुझे कुसुम के जैसे,

ना लगती तू मुझसे अलग अलग
सी लगती तू मुझे कुटुंब के जैसे,

मुझमें जान सी आ जाती है लगता
तुझे देखकर मुझे तब्बसुम के जैसे,

वो तेरी आवाज मे क्या जाँ सी 
चलती है सुनूँ मै कोई धुन के जैसे,





3.कड़वा इसलिय लगता है लोगो को,
क्योंकि सच बोलता हूं,
तुम कहो तो मीठा हो जाऊ,, 
फिर ना कहना,
बहुत झूठ बोलते हो यार।।





4.कुछ ऐसे फूल हैं 
जिन्हें मिला नहीं माहौल, 
महक रहें हैं 
मगर जंगलों में रहते हैं....



5.लोग सब बहुत अच्छे होते है बशर्ते.. 
 हमारा वक्त अच्छा होना चाहिए...




6.मैं अपनी अबाधता जैसे सहता हूँ, 
अपनी मर्यादा तुम सहो।
जिसे बाँध तुम नहीं सकते
उस में अखिन्न मन बहो।
मौन भी अभिव्यंजना है : 
जितना तुम्हारा सच है उतना ही कहो।



7.मेरी बढ़ती दाड़ी को गम  
के बादल न समझना ,
में बस चेहरा छुपाये तुझे देख रहा हूँ


9.किताब आप स्वयं हैं 
खुद ही समझें तो 
सभी समस्याएं सुलझ जाएंगी

 🌸



10.ये गर्मियों का मौसम

सुबह-सुबह धूप का नजारा

चाय के 2 कप
1 कप हमारा ओर
दूसरा भी हमारा..😊



11.ना बताओ बात हमें तजुर्बों की .....
कुछ पन्ने क़िताबों के मुड़े रहने दो ....
छू लो आसमाँ , चाहे नाप लो समंदर ...
मगर पांव ज़मीं से जुड़े रहने दो ....।




12.ताकत अपने लफ़्ज़ों में डालों, 
आवाज़ में नहीं,
क्योंकि फसल बारिश से उगती है, 
बाढ़ से नही।

13.इतने घने बादल के पीछे
कितना तन्हा होगा चाँद...




14.कुछ देर बैठी रही पास, 
और फिर उठ कर चली गई

गुरुर तो देखो तन्हाई का ये 
भी बेवफ़ा हो कर चली गई



15.शिकायत और दुआ मे जब एक ही शख़्स हो
.
.
तो समझ लो इश्क़ करने की अदा आ गयी तुम्हें..


16.इतना व्यस्त होना भी 
ठीक नहीं हैं
कुछ लोगों की निगाहें 
तकती हैं राहें तुम्हारी


17.वो शख्स जो कहता था 
तू न मिला तो मर जाऊंगा 

वो आज भी जिंदा है 
यही बात किसी और से कहने के लिए...

18.कभी-कभी पत्थर की ठोकर से भी 
नहीं आती है खरोच,
और कभी ज़रा सी बात से इन्सान 
बिखर जाता है….!!

    मेरी
          कलम
                          से✍,,,,



19.न नाप पाता कोई 
चाँद की खूबसूरती को कभी,
उस खुदा ने तुझे बना चाँद को भी 
नीचा दिखा दिया एक रोज।




20.उदास हूँ पर तुझसे नाराज़ नहीं, 
तेरे दिल में हूँ पर तेरे पास नहीं,
झूठ कहूँ तो सब कुछ है मेरे पास, 
और सच कहूँ तो तेरे सिवा कुछ नहीं।




21.तेरी मुस्कान तेरा लहज़ा 
और तेरे मासूम से अल्फाज़, 
और क्या कहूँ 
बस बहुत याद आते हो तुम.



22.सुनो..
आ जाया करो ना घूमने मेरे ख्वाबों में...!
.
.
पाबंदी तो बाहर रोड पर निकलने मे हैं....!



23.एक वक़्त था की 
इज़हार-ऐ-मोहब्बत के हमें 
शब्द नहीं मिलते थे 
मेहरबानी तेरी बेवफ़ाई की 
हमको शायर बना दिया..



24.रोज लिखते है तेरे बारे में,
देख कितने बेवफा हो गए है हम

25.आखि़र कर ही दिया उसने भी
इज़हार-ए-मोहब्बत 
जो कभी हमको इस बला से 
दूर रहने को कहते थे।

26."जानता हूँ फिर सुनाओगे मुझे मौलिक कथाएँ
शहर भर की सूचनाएँ उम्र भर की व्यस्तताएँ,
पर जिन्हें अपना बनाकर, भूल जाते हो सदा तुम 
वे तुम्हारे बिन तुम्हारी वेदना किसको सुनाएँ;
फिर मेरा जीवन, उदासी का नमूना कर गये, 
तुम गए क्या, शहर सूना कर गये...!



27."मैं तुम्हारी याद के मीठे तराने बुन रहा था
वक्त खुद जिनको मगन हो, सांस थामे सुन रहा था,
तुम अगर कुछ देर रूकते तो तुम्हें मालूम होता
किस तरह बिखरे पलों में मैं बहाने चुन रहा था,
रात भर हाँ-हाँ किया पर प्रात में ना कर गये 
तुम गए क्या, शहर सूना कर गये...!"



28.आदत और चाहत भी कमाल की है।
किसी की हो जाए तो 
दिल को राहत नही होती।



29.मिली हैं रूहें तो, रस्मों की बंदिशें क्या हैं...
यह जिस्म तो ख़ाक हो जाना है फिर रंजिशें क्या हैं

है छोटी सी ज़िन्दगी तकरारें किस लिए...
रहो एक दूसरे के दिलों में ये दीवारें किस लिए

नफरतों की सूली पर बेगुनाह झूले हैं।
धर्म तो याद है बस इंसानियत भूले हैं।।




30.रात जो आयी है..
ये तो गुजर जानी है...
ऐ दिल अब तू यह सोच
के तुझे नींद कैसे आनी है...





31.दिल को जलाने, प्रेम जगाने, सावन के इस मौसम में,
बारिश की ये बूंदे जब जब, मुझपर आके गिरती है,
बूंदे नही ये तेरे पायल की झनकार सी लगती है।
बारिश की ये बूंदे जब जब.......................

काश हो ऐसा, बस हम दोनों, सांझ समय और बरसती बूंदे,
एक दूजे में हम खो जाए, देखे बस ये बरसती बूंदे।

बांहों में हम बांहे डाले, एक दूजे को देखते जाए,
प्रेम की पावन पुस्तक पर हम, एक कहानी बन छा जाए।

लबो के तेरे मधु का प्याला, पीकर हम पागल हो जाए,
बांहों में भरकर तुझको, हम दो जिस्म एक जां हो जाए।

जानता हूँ ये एक स्वप्न है, मैं धरती और तू अम्बर है,
तेरी याद में मैं ना शायद, मेरी याद में तू पल पल है।

लेकिन ज़रा ये सोचो जब, सावन का मौसम आता है,
इंद्र भी अपना स्वर्ग छोड़कर, धरा से मिलने आता है।

आज अगर इकरार करोगी, दिल पर मेरे राज करोगी,
इतना प्यार मैं दूंगा की तुम, प्यार पे अपने नाज़ करोगी।

और अगर इनकार किया तो, बाद में खुद को कोसोगी,
मुझको पास ना पाकर, अपने मन ही मन ये सोचोगी।

कोई तो दिल था दुनिया में, जो नाम से मेरे धड़कता था,
हा, एक पागल लड़का था, जो मुझपर जान छिड़कता था।

प्यार अगर तू करती है तो, दुनिया से क्यों डरती है ?
और जो ना करती है फिर क्यों, आंख मिचौली करती है ?
बारिश की ये बूंदे जब जब......................



32.बिखर गया हूँ, और कई सवाल है, 
तब भी साथ हो, ये भी तो कमाल है...

33.कद्र करने का मेरा सलीका 
थोड़ा अटपटा सा लगता हैं
मैं करू जिस किसी से बात
वो मुझें अपना सा लगता हैं

✍✍

34.तड़प रहा हूँ, अंतिम मान के, 
पूरी मेरी ख्वाहिश कर दो,

विरह की अग्नि में जल रहा हूँ, 
आकर मिलन कि बारिश कर दो।



35.तुम मेरी हो जाओ मैं ऐसी ज़िद नही करूँगा,,
मैं तुम्हारा हो चूका हूँ ये 
हक से कहूंगा....

मेरी डायरी से✍️✍️




36.जो लोग अंदर से बिखर जाते है...
अक्सर वही लोग 
दूसरों को जीना सिखाते हैं..




37.तेरे जाने का ग़म,
      यूं सहा जा रहा है।।
      कतरा कतरा खून का,
           जमीन पर बहा जा रहा है।।
           मै तो इश्क़ को इक मुकाम देने निकला था,
           ओर यहा मुझे पागल कहा जा रहा है।।


38.नींदे गुमशुदा और वक़्त फरार 

तुम्हारा इंतजार और हसरतें बेशुमार....



39.मधुशाला में गिरता तो खुद ही उठ जाता,
मोहब्बत में गिरा हूँ ,,,, 
                 अब तो ईश्वर ही उठाएगा...!
  मेरी कलम से ✍



40.इतने बदनाम हुए हम जमाने में, 
लगेंगी आपको सदियों हमे भुलाने में,

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