सबसे भारी क्या है ?
पर्वत पहाड़ या दर्द से भारी मन,
नहीं !
सबसे भारी है माथे का वो घूंघट
जिसमें संस्करों के नाम पर
पिघल जाती है कितनी ही
कलाएँ,योग्यताएं और प्रतिभा ।
सबसे ऊंचा क्या है ?
गगन चुम्बी ईमारतें,चीन की दिवार
या महापुरुषों की प्रतिष्ठा ,
नहीं !
सबसे ऊंची होती है वो दहलीज
जिसे पार करने में खप जाता है
किसी स्त्री का पूरा जीवन
जिसके नीचे रह जाती है
कितनी ही सर्वश्रेष्ठ धावक,
जो दौड़ कर दहलीज तक
पार नहीं कर पाती।
सबसे उजला क्या है?
नेताजी की कमीज ,
दोपहरी का तड़का
या सत्य और ईमान ,
नहीं !
सबसे उजला होता है
विधवा का दामन
जिसकी चकाचौंध में आँखें मलती
कितनी ही स्त्रिया कभी नहीं देख पाती
प्रकाश का परावर्तन,
वो सतरंगी आँखे ओढ़ कर
श्वेत खादी हो जाती है
रंग हीन उजली और सफेद।
सबसे नुकीला क्या है?
हथियार , देवी का त्रिशूल
या तिरस्कार और टीस ,
नहीं !
सबसे नुकीला होता है वो स्पर्श
जो होता है इच्छा के विरुद्ध
वो स्पर्ष जो खा जाता हैं हृदय की सारी कोमलता
जो निगल जाता है साहस
और कराता है आभास
पुरुष प्रधान समाज में स्त्री होने का।
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